Dady
जब बोलना नहीं सिखा था तब आपने समझी मेरी जरुरत ,
नन्ही ऊँगली पकड़ कर सिखाई दुनिया की हकीकत ...
दिखाया आपने हाथ पकड़कर कैसे है चलना ,
कैसे आगे बढ़ना है बिना रोना धोना ....
जो माँगा वो दिया आपने होने न दी कमी,
आप के इस ऋण की बड़ी लिस्ट है बनी....
पढ़ा लिखा कर बड़ा बनाया की खुश में रहू,
इस कलियुग की दौड़ में कही पीछे ना रहू....
जीवन में आपने बहोत सी कठिनाइया झेली है,
पर हमेशा आपने संस्कारो की शिक्षा दी है....
बहोत से है माँ पर कविता लिखने वाले,
आज एक बेटे ने पिता पे कविता बनायीं है.....
धन्य है वो दिन, जिस दिन आपने जन्म लिया,
१५ अप्रैल के दिन भगवन हम पर मेहरबान हुआ....
शुक्रगुजार हु भगवन का ,
की मुझे आप जैसे पिता मिले......
एक ही प्रार्थना करता हु,
भगवन आपको स्वास्थ्य और लम्बी आयु प्रदान करे....
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