ना मंदीर मे न मश्जीद मे, सुकून मा कि वो गोदि मे,
तेरी तो उम्र है गुजरी,मुझे सबसे बचाने मे,
तेरी ममता मे बितायी है मेरी ये जिंदगी सारी.
ना बोलू मै कभी तो भी,मेरी आवाज सुनती हो,
मुझे हो दर्द बस इतना,आंखो से आसू लाती हो,
ये सारे दर्द और शिकवे मिटाती है तू पाल भर मे,
ना मांगू मै कभी इतना,मुझे तुम प्यार देती हो,
जो ख्वाइश मेई कभी करदु,उसे अंजाम देती हो,
मेरी ये उम्र अब पुरी तेरी गोदी मै ही गुजरे,
ना इतना बडा हु मै,के खुद के खुद संभल जाऊ,
तेरी किमत ना पैसो मी,नासीबोको है मिलती तू,
देखना हो अगर तो देखलो उनकी निगाहोमे ,
तरसते जो उम्र भर, वो लोरी को सुनने मे,
मै लिख भी पाउ ना ज्यादा मेरी इस नर्म स्याही से,
तुझे भगवान का दर्जा दिया है खुद हि देवोने ,
ना मंदीर मे न मश्जीद मे, सुकून मा कि गोदी मे
तेरी तो उम्र है गुजरी,मुझे सबसे बचाने मे,
तेरी ममता मे बितायी है मेरी ये जिंदगी सारी.
ना बोलू मै कभी तो भी,मेरी आवाज सुनती हो,
मुझे हो दर्द बस इतना,आंखो से आसू लाती हो,
ये सारे दर्द और शिकवे मिटाती है तू पाल भर मे,
ना मांगू मै कभी इतना,मुझे तुम प्यार देती हो,
जो ख्वाइश मेई कभी करदु,उसे अंजाम देती हो,
मेरी ये उम्र अब पुरी तेरी गोदी मै ही गुजरे,
ना इतना बडा हु मै,के खुद के खुद संभल जाऊ,
तेरी किमत ना पैसो मी,नासीबोको है मिलती तू,
देखना हो अगर तो देखलो उनकी निगाहोमे ,
तरसते जो उम्र भर, वो लोरी को सुनने मे,
मै लिख भी पाउ ना ज्यादा मेरी इस नर्म स्याही से,
तुझे भगवान का दर्जा दिया है खुद हि देवोने ,
ना मंदीर मे न मश्जीद मे, सुकून मा कि गोदी मे
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